इजरायल-हमास जंग: सबसे बड़ा हमला, इजराइल के साथ क्या होगा?

Israel, Hamas and Palestine – इन तीनों के बीच की यह लड़ाई लम्बे समय से चल रही है। इस्राइल और अरब देशों के बीच की दुश्मनी बहुत पुरानी है, और 1948 में इस्राइल का गठन हुआ जब त se अरब देशों की स्थिति पर असर नहीं हुआ।

हमास के आतंकवादियों ने एक शनिवार सुबह इजराइल में हमला किया जिससे पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी कि इजराइल पर हमला हुआ है। इससे यह प्रश्न उठा कि हमास ने इजराइल पर हमला क्यों किया? हालांकि इन दोनों देशों के बीच जंग की दास्तान कुछ नई नहीं है, आंकड़े बताते हैं कि जब-जब हमास ने हमला किया है, तो ज्यादातर नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ा है। हमास, इजराइल और फिलिस्तीन – आइए समझें कि इस जंग का पूरा मामला क्या है।

Israel, Hamas and Palestine – इस लड़ाई में प्रमुख खिलाड़ियों के रूप में यह तीन स्टेक होल्डर हैं। इस्राइल और अरब देशों की दुश्मनी प्राचीन है, और 1948 में इस्राइल के गठन के बाद भी दोनों के बीच का विवाद बढ़ता रहा है। यूनाइटेड नेशन्स का टू स्टेट प्लान कभी अमल में नहीं लाया जा सका, जिसमें इजराइल के लिए और फिलिस्तीन के लिए भूमि का विभाजन था।

हिस्ट्री दिखाती है कि जब-जब Israel पर हमला हुआ है, तो वहने ने मुंहतोड़ जवाब दिया है, और अपनी स्थिति को मजबूत किया है। चाहे वह 1967 का 6-दिन का युद्ध हो या 1973 का अरब-इजराइल युद्ध हो, हर युद्ध में इजराइल ने अपने भौगोलिक विस्तार को बढ़ाया है, और फिलिस्तीनियों की ज़मीन को कब्ज़ा किया है।

Israel-Hamas war: The biggest attack, what will happen to Israel?

1990 के दशक में Israel and Palestine के बीच बातचीत का प्रयास शुरू हुआ, और एक ओर विवाद समाप्त करने की कोशिश की जा रही थी। दूसरी ओर, 1987 में मुस्लिम आतंकवादी संगठन हमास की स्थापना हुई।

 हमास का उद्देश्य था Israel to Palestine से आजाद करना और इसे इस्लामिक राष्ट्र बनाना। फिलिस्तीन में हमास ने अपने पक्ष को मजबूत किया, और बातचीत के माध्यम से दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने लगे।

1995 में, इजराइल ने फिलिस्तीनियों को ज़मीनें लौटाने की प्रक्रिया शुरू की, जो ओस्लो समझौते के तहत शांति को बहाल करने का प्रयास था। इस आदेश के तहत, गाजा स्ट्रिप और वेस्ट बैंक को तीन अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा गया – जोन ए, जोन बी, और जोन सी। जोन ए में फिलिस्तीन का पूरा नियंत्रण था, जोन बी में प्रशासन फिलिस्तीन का था लेकिन सुरक्षा इजराइल के पास थी, और जोन सी में वह क्षेत्र था जिसपर पूरी तरह से इजराइल का नियंत्रण था।

1995 के बाद, वेस्ट बैंक से फिलिस्तीन के हिस्से में कई प्रमुख शहर आए, जैसे कि हेब्रों, यत्ता, बेतलहम, रमल्ला, कल्कइलियाह, तुलकार्म, जैनीन, और नाबुलुस। गाजा स्ट्रिप के भी शहर फिलिस्तीन को मिले, जैसे कि रफाह, खान यूनुस, डायरल, अलबलह, जबलियाह, और अन नजलाह। इस अनुबंध के बाद, लगता था कि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच का विवाद समाप्त हो गया है, और अब दोनों देश शांतिपूर्ण रूप से आगे बढ़ेंगे। हालांकि, दोनों पक्षों के कट्टरपंथियों को इस समझौते में सहमति नहीं थी।

The Festival Of Jews And Muslims Fell On The Same Day

1994 में, एक दिन पुरिम यहूदियों और रमदान मुस्लिमों के बीच आया, जिसके बाद एक यहूदी कट्टरपंथी ने मुस्लिमों की भीड़ पर गोली चलाई। इसके बदले में, हमास के आतंकवादी धमाकों के माध्यम से जवाब दिया। इन घटनाओं के बाद भी, बातचीत जारी रही।

शांति के प्रयासों पर 4 नवंबर 1995 को पूर्णविराम लग गया, जब एक कट्टरपंथी यहूदी ने प्रधानमंत्री यिजक रॉबिन की हत्या कर दी। फिर, 1996 में बेंजामिन नेतन्याहू पहली बार इजराइल के प्रधानमंत्री बने, और उन्होंने सुरक्षा और सीमांत समझौतों का नामकरण किया, और ओस्लो समझौते को अस्वीकार किया।

इस दौरान, हमास ने फिलिस्तीन की राजनीति पर धीरे-धीरे कब्जा किया और अपने आतंकी कार्यक्रमों के लिए फंड इकट्ठा किया, जिसका उपयोग Israel के खिलाफ किया जाता है। आत्मघाती हमलों के बाद, हमास का आतंकी सफर रॉकेट हमलों तक पहुँच गया है। हर दिन, हमास के आतंकी इजराइल पर हमला करते रहते हैं।

Hamas launches massive rocket attack on Israel

7 अक्टूबर 2023 को, हमास ने इजराइल पर बड़ा रॉकेट हमला किया, जो इस सदी का सबसे बड़ा हमला है। इसके बाद, हमास के प्रवक्ता ने कहा कि इजराइल पर यह हमला एक संदेश है, जिससे मुस्लिम देशों को यह संकेत मिलता है कि वे इजराइल के साथ सामान्य संबंध बनाने की कोशिश छोड़ दें।

यहां तक कि जब वेस्ट बैंक में कई मजहबी स्थल हैं, जहां यहूदी और इस्लामी दोनों दावा करते हैं, वहां इजराइल का कब्जा है। हमास इन क्षेत्रों को इजराइल से छीनने का प्रयास करता है, और इस मजहबी विवाद के कारण उसे समर्थन और वित्त प्राप्त होता है। मजहब के नाम पर युवाओं को बढ़ावा देने और इजराइल पर आतंकी हमले करवाने में हमास का साथ हिजबुल्ला जैसे संगठन भी देते हैं।

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